World Radio Day 13th February

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रेडियो की भूमिका और महत्व को बताने के लिए हर साल 13 फरवरी को World Radio Day मनाया जाता है। पुराने समय मे रेडियो ज्ञान, मनोरंजन और संचार का प्रमुख केंद्र रहा है। रेडियो के द्वारा ही लोग एक दूसरे से भावात्मक रूप से जुड़े रहते थे।यह एक मशीन नही है बल्कि लोगों के जुड़ाव और जज्बात हैं।रेडियो संचार के साथ-साथ मनोरंजन एवं ज्ञान का एक प्रमुख साधन रहा है। आपातकालीन परिस्थितियों में इसका महत्व और बढ़ जाता है। आज भी देश के सुदूर इलाको में रेडियो का विशेष महत्व है। हमे।अपनी भावी पीढ़ियों को रेडियो के इतिहास को बताना चाहिए और इसके महत्व के प्रति उनको जागरूक करना चाहिए। इसी को ध्यान में रखते हुए हर साल 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस ( World Radio Day ) के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर रेडियो के इतिहास, उसकी भूमिका को बताने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते है।

“Radio and Peace” is the theme of the 12th World Radio Day – February 13, 2023.

विश्व रेडियो दिवस मनाने का कारण

दशकों से रेडियो लोगों के दैनिक जीवन का अहम हिस्सा रहा है। इसके द्वारा सूचना का प्रसार किया जा सकता है, व्यक्ति स्वयं को स्वतंत्र रूप से अभिव्यक्त कर सकते हैं, संस्कृतियां परस्पर क्रिया कर सकती हैं, और निश्चित रूप से संगीत बजाया जा सकता है।  इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उन्नत तकनीक कितनी उन्नत हो जाती है;  रेडियो हमेशा एक आवश्यकता होगी, विशेष रूप से आपदा के समय में, चाहे वह प्राकृतिक हो या मानव निर्मित। विश्व में हर जगह रेडियो का प्रयोग होता है। किंतु आज के बदलते दौर में इसका प्रयोग कम होता जा रहा है। लोगों में इसके प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए और इसका महत्व बताने के लिए ही इस दिन को मनाया जाता है।रेडियो को एक महत्वपूर्ण साधन मन जाता है। यह वैश्विक समुदाय के बीच आपसी सामंजस्य बिठाने के लिये महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए, विश्व रेडियो दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य रेडियो के महत्व और उसके प्रयोग के प्रति लोगों को जागरूक करना है।

रेडियो का इतिहास

एक इतालवी भौतिक विज्ञानी और आविष्कारक गुग्लिल्मो मार्कोनी ने 1895 में रेडियो का आविष्कार किया। उनको एक व्यावहारिक और सफल बेतार संचार प्रणाली विकसित करने वाले पहले व्यक्ति होने का श्रेय दिया जाता है, जिसने रेडियो प्रौद्योगिकी के व्यापक उपयोग के लिए आधार तैयार किया। बीसवीं शताब्दी के संचार के सबसे महत्वपूर्ण रूपों में से एक के रूप में रेडियो तेजी से प्रमुखता से बढ़ा, लोगों ने जानकारी प्राप्त करने और साझा करने के तरीके में क्रांति ला दी। रेडियो प्रसारण समाचार, मनोरंजन और शैक्षिक सामग्री का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन गया, जो समुदायों को जोड़ता है और क्रॉस-सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देता है। रेडियो आज भी हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, सूचना और मनोरंजन प्रदान करने के साथ-साथ दुनिया भर के लोगों को जोड़ता भी है।

World Radio Day

विश्व रेडियो दिवस मनाने का इतिहास

सबसे पहले साल 2010 में स्पेन रेडियो अकादमी ने यूनेस्को में विश्व रेडियो दिवस मनाने का प्रस्ताव दिया। 2011 में यूनेस्को के सदस्य देशों ने इस प्रस्ताव पर अपनी-अपनी सहमति दे दी और इसे स्वीकार कर लिया तथा संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भी साल 2012 में इस प्रस्ताव पर अपनी सहमति दे दी। तब से ही हर साल 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस ( World Radio Day ) के रूप में मनाया जाने लगा।

13 फरवरी को ही क्यों मनाया जाता है

विश्व में पहली बार 13 फरवरी 1946 के दिन ही यूनाइटेड नेशंस रेडियो की शुरुआत हुई थी। रेडियो संसार का सबसे तेज संचार का माध्यम है। रेडियो ने संचार के क्षेत्र में एक क्रांति ला दी थी एवं सम्पूर्ण विश्व को एकता के सूत्र में पिरो दिया था। इसलिए संयुक्त राष्ट्र रेडियो की वर्षगांठ के दिन ही वर्ल्ड रेडियो डे मनाये जाने का फैसला लिया गया।

भारत में रेडियो की शुरुआत

सर्वप्रथम वायसराय लॉर्ड इरविन ने 23 जुलाई 1927 को बॉम्बे में पहले रेडियो केंद्र का उदघाट्न किया था। साल 1930 में भारतीय रेडियो का राष्ट्रीयकरण कर लिया गया। जून 1936 में Indian State Broadcasting Service का नाम बदलकर All India Radio कर दिया गया। इसी वर्ष All India Radio द्वारा पहली बार News Bulletin Service का प्रसारण शुरू किया गया। भारत की आज़ादी के समय देश मे 9 रेडियो स्टेशन थे लेकिन भारत के बटवारे के बाद पाकिस्तान में 3 रेडियो स्टेशन चले गए।साल 1956 में All India Radio का नाम बदलकर आकाशवाणी कर दिया गया। इसके अगले ही साल 1957 से विविध भारती का प्रसारण भी शुरू कर दिया गया।

आज़ादी के आंदोलन में रेडियो की भूमिका

देश में जिस समय आज़ादी के लिए आंदोलन चल रहे थे तो उस समय राष्ट्रीय नेताओं के द्वारा रेडियो प्रसारण के जरिए ही सूचनाओ एवं संदेशो को प्रसारित किया जाता था।आज़ाद हिंद फौज के गठन के बाद नेता जी सुभाष चंद्र बोस ने रेडियो के जरिए ही जर्मनी से1942 में आज़ाद हिंद रेडियो का प्रसारण शुरू किया। बाद में विश्व युद्ध के कारण आज़ाद हिंद रेडियो को जर्मनी से सिंगापुर और रंगून ले जाया गया। आज़ाद हिंद रेडियो पर विभिन्न भाषाओं में सूचनाएं दी जाती थी जिसमें हिंदी, अंग्रेजी, तमिल,पंजाबी, उर्दू, बंगाली, मराठी आदि भाषाओं में कार्यक्रमो का प्रसारण किया जाता था।

रेडियो पर हुई थी आजादी की घाेषणा

सैकड़ों वर्षों के संघर्ष के बाद 15 अगस्त1947 को जब भारत अंग्रेजों की गुलामी से आज़ाद हुआ तब मध्यरात्रि को ही देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने एक भाषण दिया जिसे लोगो ने रेडियो पर ही सुना, जिससे पूरे देश मे खुशी का जश्न मनाया जाने लगा। देश के विभाजन के बाद जब पाकिस्तान से शरणार्थी देश मे आने लगे तब उनको रेडियो कर द्वारा ही शरणार्थी कैम्पों तक पहुचने का रास्ता बताया जाने लगा। 11नवंबर 1947 को जब गाँधी जी शरणार्थियों से मिलने नही पहुंच सके तब गाँधी जी ने आकाशवाणी पर रेडियो के द्वारा शरणार्थी कैम्पों में रह रहे लोगों को रेडियो के द्वारा ही संबोधित किया गया। इस घटना की याद में 11 नवंबर के दिन को ‘लोक सेवा प्रसारण दिवस’ के रूप में मनाया जाने लगा।

रेडियो एवं विश्व

यूनेस्को द्वारा 13 फरवरी को मनाये जाने वाले विश्व रेडियो दिवस का इस साल 2023 को 12वाँ संस्करण है। इस साल विश्व रेडियो दिवस की थीम – रेडियो एवं शांति – है। विश्व के विभिन्न हिस्सों में चल रहे युद्धों के कारण कई लोग शरणार्थी बनकर दूसरे देशों में पलायन कर रहे है। इसलिए यह उम्मीद की जा रही है कि रेडियो द्वारा दुनिया में शांति कायम हो सकेगी क्योंकि रेडियो के द्वारा लोगों तक सूचना और देश दुनिया की खबरें आसानी से पहुंच सकेंगी।

बदला संसार बदला रेडियो

आज के वैश्विक दौर में जिस तरह बदलाव हो रहा है उसी तरह रेडियो का स्वरूप भी बदल गया है। आज आकाशवाणी के अलावा बहुत सारे निजी रेडियो स्टेशन भी देश में चल रहे हैं। अब दुनिया के किसी भी रेडियो स्टेशन से मोबाइल या एफ एम FM के जुड़ा जा सकता है। आज आकाशवाणी के विभिन्न कार्यक्रमों को मोबाइल ऐप्प के द्वारा सुना जा सकता है। अब दुनिया के किसी भी रहने के बावजूद भी रडियो के विभिन्न ऐप्प के माध्यम से अपनी भाषा एवं संस्कृति से जुड़ा रहा सकता है। आज के तकनीकी युग मे रेडियो में भी बदलाव आ गए हैं जो समय के साथ आवश्यक भी हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दी विश्व रेडियो दिवस पर शुभकामनाएं

पीएम मोदी ने विश्व रेडियो दिवस के अवसर पर ट्वीट करके सभी श्रोताओं और इससे जुड़े कर्मियों को बधाई दी। प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में लिखा , ‘विश्व रेडियो दिवस के मौके पर सभी रेडियो श्रोताओं, रेडियो जॉकी और प्रसारण इको-सिस्टम से जुड़े अन्य सभी लोगों को बधाई। रेडियो अभिनव कार्यक्रमों और मानव रचनात्मकता को प्रदर्शित करने के माध्यम से जीवन को उज्ज्वल करता रहे।’

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